Sunday, March 21, 2010

Shayari sher

aaj mood nahi hai fir kabhi....

Wednesday, March 17, 2010

Mohit Bagaria: Shayari sher

Mohit Bagaria: Shayari sher

Shayari sher



From My Collection
कभी तो आसमाँ से चांद उतरे जाम हो जाये
तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाये



हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाये
चराग़ों की तरह आँखें जलें जब शाम हो जाये



अजब हालात थे यूँ दिल का सौदा हो गया आखिर
मोहबात की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाये



समंदर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवायेँ तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाये



मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ
कोई मासूम क्यों मेरे लिये बदनाम हो जाये



मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आसमाँ छूने में जब नाक़ाम हो जाये



उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये